Reproduced below is a wonderful poem I found here. It captures exactly what I was trying to say yesterday and why it is that I'm so upset that I'm flying through Bombay now and not Kolkata:
बस एक बार वापस लौटने का मन करता है
आज हर वो दिन जीने को मन करता है.
कुछ बुरी बातें जो अब अच्छी लगती हैं
कुछ बातें जो कल की ही बातें लगती हैं.
एक बार और क्लास Attend करने का मन करता है
दोपहर की क्लास में आखें बंद करने को मन करता है.
दोस्तों के रूम की वो बातें याद आती है
Exam के टाइम पे वो हसी मजाक याद आती है,
कॉलेज के पास 'काकी के ढाबे' की याद आती है
तब की बेकार लगने वाली फोटोस चेहरे पे हसी लाती है.
अपनी गलतियों पे तुमसे डाट खाना याद आता है.
पर तुम्हारी गलती देखने का अब भी मन करता है.
एक ऐसी सुबह उठने का मन करता है
बस एक बार वापस लौटने का मन करता है.
बस एक बार और
वापस लौटने का मन करता है.
2 comments:
Kya baat hai...Kya baat hai... Shubhan Allah !!!
bahut sundar, and very nostalgic =)
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